यज्ञ क्या है? यह लोक क्या है? और परलोक क्या है? || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2015)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२९ अप्रैल २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय ४ श्लोक ३१)

यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्म सनातनम्‌ ।
नायं लोकोऽस्त्ययज्ञस्य कुतोऽन्यः कुरुसत्तम ॥

हे कुरुश्रेष्ठ अर्जुन!
यज्ञों के फ़ल रूपी अमृत को चखकर
यह सभी योगी सनातन परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं,
और यज्ञ को न करने वाले मनुष्य
तो इस जीवन में भी सुखपूर्वक नहीं रह सकते है,
तो फिर अगले जीवन में कैसे सुख को प्राप्त हो सकते है?

प्रसंग:
यज्ञ क्या है?
मनुष्य लोक क्या है? और परलोक क्या है?
परलोक का आनंद कैसे पाये?
ऐसा कृष्ण क्यों कहते है की जो यज्ञ नहीं करते वो मनुष्य लोक में भी सुख नहीं पाते?

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